बदायूं को ऐसा दर्द मिला है जो जीते-जीते जाने वाला नहीं है. यह दर्द बदायूं से बढ़कर उन मां-बाप के लिए जिनकी बेटियों की अस्मत लूटी गई और पेड़ से लटकाकर उन्हें फांसी दे दी गई. यह दर्द समाज का है, समाज की हर बेटियों का है. लेकिन क्या यूपी की अखिलेश सरकार को इसका दर्द है. एक ऐसा कलंक जो कभी मिटने वाला नहीं है.