कहा जाता है कि हिरण नदी पर भगवान कृष्ण ने पंचतत्वों से बना अपना शरीर त्यागा और पंचतत्व में ही विलीन हो गये. हिरण नदी के किनारे आज भी भगवान के चरण पादुका बने हुए हैं.