पाक फौज के बाद पाकिस्तानी अवाम और पाक के कबीले पहले ही तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. यहां तक कि जो लोग तालिबान और बैतुल्लाह के साथ सालों से जुड़े थे, उन्होंने भी साथ छोड़ने का मन बना लिया है.