फांसी जेल में ही होती है. फांसी जेल में ही दी जाती है. पर इसके लिए बाकायदा एक तरीका होता है. तैयारी होती है. ऐसा नहीं होता कि आप अपनी मर्जी से खुद अपनी सज़ा तय करें और खुद ही सूली पे चढ़ जाएं. वो भी जेल के अंदर. पर क्या करें जब जेलर सो रहा हो तो फांसी घर जाने की बजाए कैदी सेल में ही तो लटके मिलेंगे. बहुत मुमकिन था कि कुछ महीने या साल बाद राम सिंह को कानून फांसी की सज़ा देता. पर राम सिंह शायद इतना इंतजार करने को तैयार नहीं था और जेल वाले ड्यूटी बजाने को. नतीजा, सज़ा से पहले ही फांसी हो गई.