किसी ने सच कहा है कि बोलने और ना बोलने दोनों ही सूरत में एहतियात बरतनी चाहिए. यानी ऐसा भी ना हो कि जब बोलना हो तो आप खामोश हो जाएं और जब कम बोलना हो तो आप ज्यादा बोल जाएं. एक हमारे देश के मुखिया हैं उनकी तो हम सब आवाज़ सुनने को ही तरस जाते हैं और एक दिल्ली पुलिस के मुखिया हैं, जो बोलते-बोलते बस बोल ही जाते हैं.