ढाई महीने पहले दिल्ली में एक बस की पिछली सीट पर जो हुआ उसके बाद लगा था कि अब बहुत हुआ. पूरे देश ने भी बोल कर बता दिया था कि सचमुच अब फिर कभी ऐसा नहीं होगा. काश 16 दिसंबर के गम और गुस्से के बीच हैवानियत और दरिंदगी भी बस की उसी पिछली सीट पर दम तोड़ देती. पर सारे भ्रम टूट गए. दिल्ली में फकत एक रात में रेप की 8 वारदातें हुईं. अब ऐसे में दिल्ली को रेप कैपिटल ना कहें तो क्या कहें?