रगों में दौड़ने-फिरने के हम नहीं क़ायल जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है. लिखने वाले ने जब ये लिखा था तब शायद सोचा भी ना होगा कि आंखों से छोड़िए. रगों से भी जो लहू टपकेगा वो मिलावटी या जहरीला होगा.