जब भगवान भक्ति की रेट तय कर दें. जब आशीर्वाद और दुआएं रुपए में बिकने लगें.जब कृपा की सेल लगने लगे तो समझ लीजिए की पैसा बोलता है. दुनिया के किसी भी धर्म, मज़हब, देवता, बाबा, धार्मिक गुरुओं ने पैसे लेकर कभी कोई धार्मिक दरबार नहीं लगाया. कृपा कभी किसी ने बेची नहीं. पर निर्मल बाबा ने बेची तो अब उनके खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज हो ही गई.