scorecardresearch
 
Advertisement

बेटी के दामन पर बाप का खून

बेटी के दामन पर बाप का खून

छोटे बड़े और गहरे-हलके आंगन-आंगन पलते हैं, जैसी ज़रूरत होती है ये वैसे रंग बदलते हैं. जी हां, मैं रिश्तों की बात कर रहा हूं. पर उन रिश्तों की जो जब बदलते हैं तो भूचाल आ जाता है. रिश्तों की ज़मीन पर लिखी गई धोखे और फ़रेब की ये वो कहानी हैं जो आपको झकझोर कर रख देगी.

Advertisement
Advertisement