मासूम किलकारियों को मुस्कुराहट देना सचमुच किसी इबादत से कम नहीं. फिर हम तो बच्चों को यूं भी फरिश्ता मानते हैं. पर यही फरिश्ते अगर हमसे पूछ बैठें कि क्या यही है इंसानों की दुनिया? क्या ये वही दुनिया है जिसमें इंसान बसते हैं? तो हम क्या जवाब देंगे. दिल्ली की एक राजकुमारी के साथ दिलवालों की दिल्ली में जो कुछ हुआ उसके बाद शायद ही हम में से कोई इसका जवाब दे पाए.