कत्ल के पीछे मकसद का होना उतना ही जरूरी है जितना कि कातिल और मक्तूल का होना. मगर बात जब शैतान की हो तो कत्ल के पीछे मकसद की बात करना भी बेमानी है. शैतान को तो बस जान लेने में मजा आता है. फिर चाहे वो किसी की ही क्यों न हो. शैतान, जिसका कत्ल करना पेशा नहीं बल्कि शौक है.