1993, 2002, 2003, 2006, 2008 और फिर 2011. ये वो साल और तारीखें हैं जो गुजर चुकी हैं. ये साल ये तारीख़ ग़म और ग़ुस्से की ऐसी कशमकश का नाम है जो बेचैन करती है. ये साल हर साल इस शहर पर क़यामत की तरह गुजरता है, लेकिन जिस ग़म से मुंबई गुज़री है या गुजर रही है वो अब उसकी ज़िंदगी का हिस्सा है.