छोटे बड़े और गहरे-हलके आंगन-आंगन पलते हैं. जैसी ज़रूरत होती है ये वैसे रंग बदलते हैं. मैं रिश्तों की बात कर रहा हूं. पर उन रिश्तों की जो जब बदलते हैं तो भूचाल आ जाता है. रिश्तों की ज़मीन पर लिखी गई धोखे और फ़रेब की ये वो कहानी हैं जो आपको झकझोर कर रख देगी. तो दिल थामकर देखिए फ़रेब की एक अनोखी दास्तान.