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फरेब और धोखे की एक अनोखी दास्तान...

फरेब और धोखे की एक अनोखी दास्तान...

छोटे बड़े और गहरे-हलके आंगन-आंगन पलते हैं. जैसी ज़रूरत होती है ये वैसे रंग बदलते हैं. हम रिश्तों की बात कर रहे हैं. पर उन रिश्तों की जो जब बदलते हैं तो भूचाल आ जाता है. रिश्तों की ज़मीन पर लिखी गई धोखे और फ़रेब की ये वो कहानी हैं जो आपको झकझोर कर रख देगी.

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