ज़िंदगी को क्या मंजूर है, कोई नहीं जानता. वो मासूम भी नहीं, जिसे ज़िंदगी ने उस वक़्त उस बियावान में ला पटका. जब वो सिर्फ 6 साल का था. हज़ारों किलोमीटर दूर परदेस के उस जंगल में सिर्फ जंगली जानवर थे. लेकिन ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था. वो सही सलामत जंगल से बाहर तो आ गया. लेकिन 6 साल बाद भी उसे खुद की तलाश है. आज वारदात में एक मासूम की बात जो टारजन बनते-बनते रह गया.