कुछ वक्त पहले की ही तो बात है, जब फिजा अपने चांद की चांदनी में महक रही थी, चहक रही थी. उसके बाद पहले उसका चांद छुपा और अब खुद फिज़ा चांद के पार चल पड़ी. जी हां चंद्रमोहन की अनुराधा और चांद की फ़िज़ा की मौत हो गई है. एक ऐसी मौत जिसका राज़ भी तब खुला जब फ़िज़ाओं में फ़िज़ा की लाश की बदबू घुलने लगी. फिज़ा की मौत की खबर चार या पांच दिन तक उसी के घर में दफन रही.