ये दास्तान है एक शिकारी की, जिसने अपनी ज़िंदगी में रंग भरने के लिए बुना एक बेहद हसीन जाल. बिल्कुल किसी मकड़ी की तरह एक ऐसा जाल, जिसमें चमक भी थी, नशा भी था. ज़ाहिर है कि शिकार तो फंसना ही था, फंसा भी, मगर हुआ भी वही, जो मकड़ी के साथ होता है. एक दिन वो ख़ुद अपने ही बुने जाल का शिकार बन गया.