क्या कोई मुजरिम जो खुद फांसी के फंदे पर झूलने जा रहा हो, वो दूसरों के लिए भी फांसी का फंदा तैयार कर सकता है? वो अपने साथ दूसरे की भी मौत की वजह बन सकता है? ये सवाल हम यहां इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि मुंबई को लहुलुहान करने वाले अजमल अमीर कसाब की फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है. यानी अब कसाब भी संसद हमले के गुनहगार मोहम्मद अफ़ज़ल की क़तार में खड़ा कर दिया गया है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इनमें से पहले कौन फांसी के तख्ते तक जाएगा? क़साब या अफज़ल?