हालात का यही मंजर इधर भी है उधर भी. खाकी का ये क़हर इधर भी है उधर भी. कहने को बहुत कुछ है मगर किससे कहें हम अंधेरगर्दी का ये दरबार इधर भी है उधर भी. जनता की हिफाजत के लिए हुकूमत पुलिस वालों को डंडे-बंदूक थमाती है. पर हाथ में डंडा बंदूक आने के बाद होश किसे रहता है? अररिया के पुलिसिया कहर के बाद आइए अब देखते हैं कि सरहद पार कराची में कैसे इंसानी जान सस्ते में निपट जाती है.