दिल्ली पुलिस को फुटपाथ पर एक रोज एक गुमनाम शख्स की लाश मिलती है. लाश पर चाकुओं के निशान हैं जो ये इशारा कर रहे हैं कि ये मामला कत्ल का है. लेकिन मरनेवाले की पहचान किए बगैर पुलिस के लिए कातिल तक पहुंचना नामुमकिन है. और सबसे बड़ी दिक्कत ये कि ना तो मरनेवाले की जेब में पर्स है, ना मोबाइल और ना ही कोई आई-कार्ड. यानी पुलिस को एक ऐसे कत्ल की तफ्तीश करनी है, जिसमें लाश का कोई चेहरा ही नहीं है.