13 दिसंबर 2001, जब पहली बार आतंकवाद ने संसद की दहलीज के उस पार दस्तक दी थी. और इस दस्तक की गूंज से तब पूरा देश गूंज उठा था. आज 11 साल एक महीने और 27 दिन बाद फिर एक गूंज सुनाई दी. पर इस बार इस गूंज को एक खामोशी ने अपनी आवाज दी है. बेहद खामोशी के साथ शनिवार सुबह संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु को फांसी दे दी गई.