कहते हैं कि समस्या एक है, तो फैसला भी एक होना चाहिए. लेकिन फैसले तक पहुंचने में रास्ते कई हैं, तो सबसे अहम हो जाता है वो रास्ता. अयोध्या को भी इन्हीं रास्तों से होकर गुजरना है. इनमें से पहला रास्ता है खूनी सियासत का, जिसकी कोई मंजिल नहीं है. दूसरा रास्ता है अदालत का, जिसकी आंखों पर तथ्यों की पट्टी बंधी है. जो दिल से नहीं, दिमाग से सोचती है. तीसरा रास्ता है प्यार और मोहब्बत का, जिसमें कुर्बानी की इमामत है. अयोध्या में हालिया हलचल को देखते हुए मसले का कोई हल निकलेगा... हम सब इसी उम्मीद में हैं.