दिल्ली गैंगरेप के विरोध में भले ही हजारों लोगों ने मोमबत्तियां जलाई हों लेकिन जब 16 दिसंबर की रात पीड़ित छात्रा और उसके दोस्त को मदद की जरूरत थी तो किसी ने भी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया था. उस रात अगर लोगों ने समय रहते मदद की होती इन दोनों की तो शायद आज वो पीड़ित छात्रा हमारे बीच में होती.