चोरी और ठगी का इतिहास सदियों पुराना है. जब-जब दौर बदले चोरी और ठगी का तरीका भी बदला. आमतौर पर चौर या ठग ये देखा करते थे कि कहीं उन्हें देख तो नहीं रहा है. अगर आस-पास उन्हें इंसान नहीं नजर आता तो वो वारदात करके निकल जाते. लेकिन जब से तीसरी आंख आयी है तब से उनका काम मुश्किल हो गया. अब चोर और ठगों को पता हीं नहीं चलता कि तीसरी आंख भी उन्हें देख रही है. और इसी वजह से कई सारे मामले सुलझ जाते हैं. वारदात में आज चोरी और ठगी की कहानी दिल्ली से है. देखें वीडियो.