सिर्फ पांच महीने पुरानी बात है जब पिछले साल 13 सितंबर को दिल्ली की एक अदालत ने चार लोगों को फांसी की सज़ा दी थी. उन्हीं 4 लोगों को जो 16 दिसंबर की उस मनहूस रात के सबसे बड़े जानवर थे. अब पांच महीने बाद दिल्ली की एक और अदालत ने एक और फैसला सुनाया है. बस फर्क इतना है कि पहले फांसी पाने वाले चारों 16 दिसंबर के जानवर थे तो इस बार जिनके हिस्से में मौत आई है वो तीनों नौ फरवरी 2012 के जानवर थे.