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वारदातः किस्सा दूल्हा 420 का

वारदातः किस्सा दूल्हा 420 का

बारात तय वक्त पर पहुंच चुकी थी. बारातियों का स्वागत जोर-शोर से हो रहा था. बस अब बाकी की थोड़ी-बहुत रस्म बची थी. फिर दुल्हन हमेशा-हमेशा के लिए दूल्हा की हो जाती. मगर ऐसा हो पाता ऐन उसी वक्त एक और दुल्हन बारात में पहुंच जाती है. फिर क्या था पूरा सीन ही बदल जाता है. फिर जब शहनाई का शोर थमता है तब पता चलता है कि किस्सा दूल्हा 420 का है.

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