भारत की राजनीति में किसान सियासी मोहरे बनकर रह गए हैं. देश के नेता किसानों का इस्तेमाल अक्सर अपनी सहूलियत और जरूरत के हिसाब से करते हैं. जब जरूरत होती है तो देश कृषि और किसान प्रधान हो जाता है, वहीं जैसे ही जरूरत खत्म होती है, किसानों को भुला दिया जाता है. जब जब ऐसा होता है तब किसान अपने खेत-खलिहान और गांव छोड़कर शहरों का रुख करते हैं. दिल्ली के दरवाजे पर खड़े किसान भी यही कर रहे हैं. देखिए वारदात, शम्स ताहिर खान के साथ.