एक जमाना था जब ऐसे रिश्तों को शक और हिक़ारत की निगाहों से देखा जाता था. और जो लोग इन रिश्तों को लेकर समाज के खिलाफ जाने की हिमाकत करते थे, उन्हें मुजरिम कहा जाता था. पर आज जमाना बदला है और साथ ही बदली है वो सोच. जो इस रिश्ते को जुर्म करार देती थी.