सोचने में ही अजीब सा लगता है कि भला मोहब्बत का भी कोई किलर हो सकता है? अरे जो मोहब्बत हरे किसी को सिर्फ मोहब्बत करना सिखाती हो वो दूसरों को नुकसान कैसे पहुंचा सकती है? पर ये बात दकियानूसी दस्तूर बनाने वाले, नफरत के सौदागरों को कितनी बार समझाई जाए? उन्हें कितनी बार बताया जाए कि इज्जत के नाम पर मोहब्बत का खून करने से ना इज्जत बढ़ती है और ना मोहब्बत हारती है.