आपने किसी एक ज़ंजीर में पूरी इंसानियत को कैद होते देखा है? कभी किसी ज़ंजीर में, किसी की तक़दीर को जकड़े देखा है? ज़रा सोचें, जब क़ैद आज़ादी का दूसरा नाम बन जाए तो फिर उस ज़ंजीर में जकड़े इंसानों की हालत क्या होगी? ऐसी ही एक ज़ंजीर जिसकी एक-एक कड़ी में इंसानियत और हैवानियत की ऐसी-ऐसी कहानियां कैद हैं. जिन्हें सुन कर आप उफ्फ़ किए बिना नहीं रह पाएंगे.