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गंगा की धार में बेमौत मर रही है इंसानियत

गंगा की धार में बेमौत मर रही है इंसानियत

चंद सिक्कों की ख़ातिर इंसान इतना नीचे गिर सकता है, ये सोचना भी मुश्किल है. लेकिन आज कहानी कुछ ऐसे ही इंसानों की, जो ज़िंदा तो ज़िंदा, मुर्दों को भी लूटने से बाज़ नहीं आते... तभी तो अंतिम संस्कार के बाद जिन मुर्दों को हमेशा के लिए चैन की नींद सोना था, वही मुर्दे ज़िंदा इंसानों का शिकार बन कर गंगा की धार में घुल रहे थे... और इंसानियत बेमौत मर रही थी.

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