मुनाफे के हर धंधे के उसने मायने बदल दिए. वो बाजार में इकलौता था, जो दस के बीस नहीं, दस के सौ कर रहा था. नेता हो या अभिनेता, संत हो या महंत, सब उसके चारों ओर थे...और इस चकाचौंध में उसने एक ऐसा मायाजाल अपने चारों ओर बुना कि रातोंरात करोड़पति बनने के चक्कर में अपनी सारी जमा-पूंजी लेकर उसकी झोली में डाल दी.