21 फरवरी...वो तारीख, जिसे पिछली तारीख़ों की तरह गुज़र जाना चाहिये था, लेकिन यही तारीख हैदराबाद क्या, पूरे देश के लिए एक बार फिर ग़म और ग़ुस्से की ऐसी कशमकश का नाम बन गई, जो हर दिल को बेचैन कर रही है. यह दिन हैदराबाद के रुख़सार पर थमे हुए आंसू की तरह है, गमों के सैलाब की मानिंद है. एक शहर का वो मातम, जो कई बार हमारी आंखों से गुजरता रहा है. हर बार यही तो होता है, हर बार यही क्यों होता है?