कहने वाले कह रहे हैं कि डर के आगे जीत है पर कहने वाले ये नहीं बता रहे कि उस डर को मार कर उसके आगे उस जीत तक कैसे पहुंचें? काश इस सवाल का जवाब मिल जाता तो अपनी दिल्ली पुलिस जिसकी ज़िम्मेदारी डर को भगाने की है वो खुद ना डरती.