इंसानी दिमाग का फितूर इस हद तक बढ़ चुका है कि अब उसकी शैतानी हरकतों के लिये जमीन भी कम पड़ गई है और इसीलिये अब उसने निशाना साधा है दुनिया की तीन चौथाई जगह पर फैले समंदर पर.