जिधर देखो वहीं गुज़ारिश..वहीं अपील. वोट ज़रूर दीजिए. एक अच्छे और मजबूत लोकतंत्र के लिए वोट ज़रूरी भी है. लेकिन क्या सचमुच हम सब लोकतंत्र की हिफाजत के लिए ही वोट देते हैं? क्या ज़ात पात, इलाक़ा, ज़ुबान और धर्म की हमारे चुनाव में कोई अहमियत नहीं है? बिल्कुल अहमियत है. यही कड़ुवा सच है और इसी अहमियत को देखते हुए हमारे नेता ऐसी कड़वी-कड़वी बातें कर रहे हैं कि सुन-सुन कर कान तक सुर्ख हो चुका है. पता नहीं अभी और कितनी ज़हरीली बातें सुनने को मिलेंगी?