मरनेवाले तो खैर बेबस हैं, जीनेवाले कमाल करते हैं. हालात से हारे गजेंद्र ने तो खैर हजारों आंखों के सामने दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन उसके जाने के बाद उसी की चिता की आंच में सियासत की रोटियां कुछ यूं सिकेंगी, ये उसने सोचा भी ना होगा. मगर हमारे नेता हैं कि वो जो ना करें, वो कम है. गजेंद्र के जाने से लेकर अब तक इन नेताओं ने अपने हर रंग दिखाएं हैं. मगर एक भी रंग ऐसा नहीं, जो दिल को सुकून दे सके.
Politics on Rajasthan Farmer Gajendra's death