दिल्ली की तपिश ने पूरे देश को तपा दिया है. ये एक एसा आंदोलन है जिसकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. जानते हैं क्यों. क्योंकि मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती, पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती, सबसे ख़तरनाक होता है हर ज़ुल्म को सह जाना, यानी मुर्दा शांति से भर जाना.