क्या सचमुच दिल्ली दिलवालों की है? या फिर ये सिर्फ किताबों और कहावतों में ही है? ये दर्द ये सवाल आज यहां हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि शाइस्ता की कहानी ऐसा करने के लिए हमें मजबूर कर रही है. शाइस्ता दिल्ली की एक 18-19 साल की लड़की, जो भरी-पूरी दिल्लीवालों के बीच पूरे एक साल तक अपने ही घर की कालकोठरी में कैद रही और सब चुप रहे.