उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला के शूटआउट के बाद गुंडे-बदमाश नए सिरे से पनप रहे थे. लेकिन 2003 के आते-आते यूपी में जुर्म चरम पर पहुंच गया. पूर्व में मुख्तार अंसारी और ब्रिजेश सिंह व लखनऊ में अजीत सिंह और अखिलेश प्रताप सिंह तूती बोलने लगी. एक बार फिर गैंगवार जोरों पर थी और इस दौरान रमेश कालिया का खौफ फैलने लगा.