कहानी ऐसी ही एक गुमनाम 'निर्भया' की, जो 'निर्भया' से ठीक दस महीने पहले दरिंदों का शिकार बन कर खामोशी से मौत के मुंह में समा गई और तो और इस निर्भया के साथ हुई ज़्यादती की कहानी ने उसे जानने वाले हर किसी को अंदर से हिला दिया, लेकिन उसके लिए ना तो वैसा कैंडल मार्च हुआ और ना ही सत्ता की दीवारें हिलीं.