दर्द की कोई ज़ात नहीं होती. ग़म का कोई इलाका नहीं होता. जुल्म की कोई हद नही होती और दरिंदगी का कोई मजहब नहीं होता. यह कहानी कुछ ऐसे ही लोगों की है जो खुद तो हाथों में चाबुक और डंडे लिए ताकत के नशे में चूर रहते हैं, पर दूसरों का जरा सा नशा उन्हें फौरन इंसान से जानवर बना देता है.