जब आस्था अंधविश्वास बन जाए और परपंरा नासूर, तो इसे छोड़ना ही बेहतर है. लेकिन कई बार अंधविश्वास इंसान को इस कदर अंधा बना देता है कि वह सब कुछ जानते हुए भी मौत के मुंह में जाने से भी नहीं डरता.