अपनी सो चुकी किस्मत और खो चुकी शख्सियत को वापस हासिल करने के लिए नासिन हुसैन पूरे सात साल तक लड़ता रहा. तमाम मायूसियों के बीच भी उम्मीद की लौ बुझने नहीं दी उसने. उन सात सालों की कैद में न जाने कितनी चीखें, कितनी बेचैनियां, कितनी घुटन और न जाने कितनी लड़ाइयां लड़ी उसने.