अमावस की रात. जिसका इंतजार तांत्रिक और ओघड़ों को साल के 364 दिन तक रहता है. दरसल यही वो रात है जो उन्हें सिद्धी देती है और वह आम इंसानों से अगल हो जाते हैं. यह सिद्धी उन्हें मिलती है उस शमशान से जो जिंदगी का आखिरी पड़ाव है.