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शिकारी खुद बना अपने ही मकड़जाल का शिकार

शिकारी खुद बना अपने ही मकड़जाल का शिकार

ये दास्तान है एक शिकारी की जिसने अपनी ज़िंदगी में रंग भरने के लिए बुना एक बेहद हसीन जाल. बिल्कुल किसी मकड़ी की तरह. एक ऐसा जाल जिसमें चमक भी थी, नशा भी था, सुरूर भी था. ज़ाहिर है शिकार तो फंसना ही था. मगर एक दिन वो ख़ुद अपने बुने मकड़जाल का शिकार बन गया. ठीक किसी मकड़ी की तरह.

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