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'सीबीआई' बनकर कइयों को लूटा, पर आखि‍रकार धरे गए

'सीबीआई' बनकर कइयों को लूटा, पर आखि‍रकार धरे गए

कहते हैं कि इंसानी दिमाग से खतरनाक कोई चीज है ही नहीं. लूट, चोरी, डाका, धोखे-फरेब के आपने अब तक न जाने कितने किस्से सुने होंगे, देखे होंगे. उसी कड़ी में यह नई कहानी दिल्ली से आई है, पर यह थोड़ा हटकर है. हटकर इसलिए, क्योंकि अमूमन चोर, ठग, बदमाश, मुजरिम जिस सीबीआई से दूर रहने की कोशिश करते हैं, इस कहानी में उसका उल्टा है.

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