ये वो दौर था जब यूपी में शिप्रकाश शुक्ला के शूटआउट के बाद गुंडे बदमाश नए सिरे से पनप रहे थे, लेकिन 2003 के आते-आते यूपी में माफिया राज एक बार फिर उरुज पर था.