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जब सहेलियों ने लांघी रिश्तों की तमाम सीमाएं

जब सहेलियों ने लांघी रिश्तों की तमाम सीमाएं

ये कहानी है उस आग की जो कुदरत के बनाए रिश्तों को खाक में मिलाकर खुद के बनाए रिश्तों को रोशन करना चाहती है. ऊपरवाले ने जब दुनिया बनाई थी, तब ये रिश्ते भी बनाए थे. पर रिश्तों से अलग हम इंसानों ने कुदरत के कानून के खिलाफ जाकर एक ऐसा रिश्ता बना दिया, जो आग उगल रहा है.

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