गए वो दौर जब बाबाओं का एक खास हुलिया या चोला हुआ करता था और जिनसे उनकी पहचान हुआ करती थी. अब आज के बाबा अपमार्केट और अपटूडेट हो चुके हैं. सत्संग से उठ कर बाहर निकल आएं तो पहचानना मुश्किल है कि ये बाबा हैं, मजनूं, बलात्कारी, ब्लैकमेलर या फिर सौदागर?